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Thursday, March 15, 2012

किसी जगह का बनना, अपने आस पास के बनने से समझ आता हैं...


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Khichripur Talkies
कोई जगह कैसे बनी है? ये सवाल कभी खत्म नहीं होता। जगहें तो असल में हमेशा बनने में रहती हैं। इसके अन्दर बसे रोजाना के दृश्य इसको कभी बनाते हैं तो कभी किसी अधूरी कहानी की तरह कहीं छुपे रह जाते हैं। क्या हम इन दृश्यों और इनके अन्दर की कहानियों में छुपी चीजों से किसी जगह की बुनाई की तस्वीर बना सकते हैं? हमने महसूस किया है इन हलचलों को और उन धड़कनों को, जो हमेशा बनने में रहती हैं, ताज़ा रहती हैं, और ये कभी बासी नहीं होतीं। हम खिचड़ीपुर के साथ संवाद में रहते हैं। हमारी कल्पना में खिचड़ीपुर एक ऐसी जगह के रूप में है, जो संभावनाओं में जीती है। इसमें हमारे साथीदार हैं वे सभी लोग जो खुद के साथ, पड़ोसियों के साथ, लोकैलिटी और शहर के साथ, सफ़र के साथ और अपने रिश्तों के साथ संवाद में रहते हैं। - अंकुर टीम
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